वह पंख कतरता था,
हर उडती चीज को जज्ब कर लेता,
अक्सर शक्ति के केन्द्रीयकरण मे,
पंख शांति की बात,
शक्ति के प्रदशर्न मे भोजन .
वह बिना पंखो के पैदा हुआ ,
कबूतर की गर्दन हो या मनुष्य की ,
हाथो की अपनी कसरत,
लोगो को पढने के लिए कसीदे ,
आरोप-प्रत्यारोप ,
पंख विदित है,
संदर्भ -सहित.
-राजेश एकनाथ
१८-११-२०१०
हर उडती चीज को जज्ब कर लेता,
अक्सर शक्ति के केन्द्रीयकरण मे,
पंख शांति की बात,
शक्ति के प्रदशर्न मे भोजन .
वह बिना पंखो के पैदा हुआ ,
कबूतर की गर्दन हो या मनुष्य की ,
हाथो की अपनी कसरत,
लोगो को पढने के लिए कसीदे ,
आरोप-प्रत्यारोप ,
पंख विदित है,
संदर्भ -सहित.
-राजेश एकनाथ
१८-११-२०१०
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