हँसी के साथ मौत का विरोध !!!!
हवा,
आत्मा.
कमर के साथ हथियार,
असामान्य बुद्धि के साथ,
युद्ध और मौत ,
दांत ,
सामने साथ के साथ मांस .
बेतुका सवाल, दरवाजा खोलने के लिए, मन का होना पानी!!! .
उपजाऊ भूमि युध्यस्थल नहीं ,
उपजाऊ है विकास और परिवर्तन ,
अपनी गहरी जड़,
उसका प्रसार ,
यह कहाँ से आता है.
युद्ध पृथ्वी पर हैं .
रूपरेखा टूटती कारणों की ,
विद्रोह असंगत,
असंगत कार्रवाई,
अनुपस्थित क्रांति,
निहित प्रतिक्रिया ! !!!!! अनुकरणीय ?
दुनिया पुरानी त्वचा ? नई केचुली , नए शूटिंग-शर्टिंग , बारिश,
सांचा, रात, दांत, बर्फ,
सूरज उगता है,
खून के छल्ले,................ आकाश नया मजाक लाता है,
पैर पूंछ , या बालों में पंख है यह सवाल है!!!!!!!!!!!
मक्खन चाकू की साथ जो मुद्रा ,
मालूम रहे दुनिया को ....जो फैलता है?
अपरिवर्तित ,
दुनिया,
परमाणु बदलते हैं,
चन्द्रमा जो पर्दा डालता है,रंग धुंधलके से, और अनन्त.
अभी भी झूठ बोला है और जमीन पर सच- झूठ?
अपने भाले पर अपनी आँखें ,
अंतर खोलता है,
रोशनी के फ्यूज और एक चिमटी के साथ पुनर्जन्म और प्रसार,
दुनिया किनारों का मिश्रण!!!!
मुद्राओं के साथ बासी मे बदलने के लिए, चुप्पी चिल्लाती है,
अपव्यय.
के साथ,
के खिलाफ,
से,
के लिए,
समाज अपनी क्षण - क्षण मृत्यु के लिए,
स्तुति गाते है,
कई अनोखे पूर्वगामी,
इतनी चुप भूमि.......... कांपते दरवाजे, गड़गड़ाहट ध्वनि पिटाई शोर ,
काली फिर बड़ी भैंस,...........अक्षर .
पैरों पर सिर,
वह ..यह ,
देखने के लिए और,
इतनी चुप भूमि ,
कांपती ,
आ देखें,
मैं - वह ,
सार्थक ....
मैं-- का युद्ध पृथ्वी पर हैं हम उड़ान ,
हम शोक,
"हम" मन विपरीत हैं हम लड़ रहे हैं,
आसमान गरजदार हैं और ध्वनि गड़गड़ाहट के रूप में पृथ्वी कांपती है,
दौड़नेवाला खुर,
गड़गड़ाहट या भूमि की धड़कन देखने के लिए .........कोई और,
मैं - वह,
देखने के लिए और भी ,
मैं....का ऐंठना ,
गड़गड़ाहट.
मैं का बड़बडाना.
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