Friday, November 26, 2010

आम धन

"मौन की ध्वनि," को  विशेष रूप से बनाया गया है.
खेल एक वीडियो स्थापना,
जहां दर्शक 
  द्वारा प्रत्येक चरण लाया गया  है,
अपने दैनिक जीवन के बीच एक अलग बनाते हैं,
यह  तथाकथित 'तीसरी दुनिया " निष्ठा पर सवाल.
प्रतिबिंब का एक पल देने के लिए है
छवियाँ,
पत्रकारिता का काम है कि सभी का सामना करने को तैयार हैं.
एक अलग स्थान में निर्मित,
प्रकाश की एक दीवार हमारे लिए बाहरी और आंतरिक से एक रेचन शुरू करने के इरादे से .
प्रवेश करने पर हम जो एक  हड़ताली कभी प्रकाशित चित्रों में से एक थे,
अकाल के दौरान जीवन 
"स्नैपशॉट" है,
एक भूख से मरा गिद्ध,
जीवन से पीछा करता मनुष्य . और सभी आसपास के विवाद और पुरस्कार.
दृश्य कलाकार चिंतन और प्रतिबिंब के लिए एक स्थान का विश्लेषण .
प्रकाश और मान्यता से भरे  इतिहास में सभी का  यह ध्यान,
छापा टुकड़ा के रूप में सेवारत 'साधना की ध्वनि'.
क्या हम बुद्धिमत्ता के साथ मैच करने के लिए तैयार,
एक अलग कमरे में प्रदर्शित एक चकाचौंध,
रोशन दीवार कि बाहरी और आंतरिक के बीच एक रेचन बनाना है
एक गिद्ध के साथ एक भूखा इन्सान  उसे और झूठ बोलने के लिए प्रतीक्षा - में.
प्रवेश.

ज्ञान के साथ उसके  इतिहास और पहचान के रूप में एक  तरह से महान है .
पात्र महत्व साथ के रूप में  चित्रण.
सतत इन पंक्तियों के साथ,
दुनिया सबसे बाद समकालीन युग में प्रासंगिक  के रूप में मान्यता प्राप्त है.
एक जीवंत और विचार उत्तेजक शैली के साथ,
अपने काम मे उदासीनता की अनुमति नहीं और क्या अविस्मरणीय है?

प्रदर्शन में  विशिष्ट आत्मकथाएँ कि उसे उसकी अपनी ऐतिहासिक दृश्य बनाने के लिए अनुमति के साथ प्रस्तुत करता है.
एक प्रतिबद्ध कलात्मक लाइन सतत ही प्रस्तुत ,
रूप में एक 
"जीवंत देखने" के साथ है और उनकी उदासीनता नहीं बनी  काम पर आरोप लगा,
हम यह आसानी से भूल जाते हैं!!!
इतिहास की अपनी आवाज़ से पूछो.

Wednesday, November 24, 2010

आकार,

आकार,
एक नई जिंदगी का गठन करेगा
उस  आंख पर है. स्मृति.
स्मृति में स्थित है आंख ,
धूल धीरे - धीरे एक कंकड़
स्मृति में प्रकाश
गहरा , वर्तमान अतीत और भविष्य
अवधि भर  को जीवन के मंच पर
हकलाना ........ की  प्रकाश , अंधेरे में बदल गया.

Tuesday, November 23, 2010

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संदर्भ -सहित.

वह पंख कतरता था,

हर उडती चीज को जज्ब कर लेता,

अक्सर शक्ति के केन्द्रीयकरण मे,

पंख शांति की बात,

शक्ति के प्रदशर्न मे भोजन .

वह बिना पंखो के पैदा हुआ ,

कबूतर की गर्दन हो या मनुष्य की ,

हाथो की अपनी कसरत,

लोगो को पढने के लिए कसीदे ,

आरोप-प्रत्यारोप ,

पंख विदित है,

संदर्भ -सहित.

-राजेश एकनाथ

१८-११-२०१०

Tuesday, November 16, 2010

Home

 we are living here
understanding
the life...the world/the family
creations are happening...
always by the inspirations gained from
the home...the world/the family
to share this is An Effort
through Art
at Home...


 हम यहाँ जी रहे है
      जान रहे है
जीवन को ....संसार को
   सृजन हो रहा है...
उर्जा मिलती रहती है हमेशा
   घर मे ...संसार मे ...
इसे बाटने का एक प्रयास

                                                       कला के माध्यम से
                                                                                  घर मे ....

Monday, November 15, 2010

"प्रकाश"


  अपने पथ के लिए नहीं  है. 
  •  "प्रकाश" ,
       स्मृति की सड़कों के  अंधेरे जानते हैं.
       स्वयं  खोजने के लिए,
       जब मैंने  मुझे देखने के लिए प्रकाश पहना .

Sunday, November 14, 2010

Saturday, November 13, 2010

  • रेखाओं का गुंथन,
गुंथन का मंडन,
मंडन का स्पंदन,
रंग  तर्पण,
गर्भ स्मृति दर्पण.
-प्रमोद गायकवाड 

मुलवृती

हम अपनी मुलवृती के सामानांतर जीवन गढ़ते है,यह वृति ही मूल संघर्ष है,स्वयं से संघर्ष एवं जीवटता  हमारे भीतर स्थिरता लाती है,कभी कभी यह आत्मघातीभी हो जाती है,जो   हमें मृत्यु तक ले जाती है,जिस भी क्षण कोई आत्महत्या कर रहा होता है, मुलवृती का आवेग इतना त्रिव ,तेज,एवं चरम  पर होता है की वह सांसारिकता का अतिक्रमण कर लेता है,ओर सारी चीजे अर्थहीन हो जाती है.
     जीवन मे  कुछ भी निश्चित नहीं है,"मृत्यु  निश्चित है." तब हम जीवन को किस अर्थ मे लेते है,यह महत्वपूर्ण है.यह संवाद का विषय था,हम चारो इस की चर्चा कर रहे थे.तब से यह बात मुझे परेशां किये जा रही है,क्यों कोई आत्महत्या करता है,या ऐसा कोनसा चरम होता है ,जो कलाकार को  आत्महत्या के लिए मजबूर करता है, ?जीने की सार्थकता? निर्थकता? क्षणभंगुरता? सम्पूर्णता? आनंद? इत्यादि!!.................नाव मे छेद है ,   ईश्वर का इंतजार अवसर भी  है  पतवार भी.  
   - राजेश एकनाथ    

Friday, November 12, 2010

प्रदर्शनी में विभिन्न नामों मे,
 अपना  "नाम" रखो
 चित्रों की  प्रदर्शनी  एक श्रृंखला का अध्ययन .
 प्रदर्शन क्रमशः है,
 " नृत्य," मेरी आत्मा का  स्पर्श ,
 " पिछले दिनो आत्मा,  खड़ी ,गतिशील ,
  चित्रों के बिना मै", "चाँदनी का  कांटा" .............के पीर कौन जानता है?
 "नाम "शामिल हैं.
  चित्रकार आईना,
  आपका" नाम" प्रदर्शनी है.    प्रकृति, स्वतंत्रता, प्रजनन, मामले मे,
 अस्तित्व और गति एक चलती छवि की भाषा,

बाड़

एक आदमी है जो सामग्री के साथ नहीं है , विचारों में
रहता है ... करने के लिए बाड़ अमूर्त है कि ब्रह्मांड बनाता है,

कूदने की कोशिश कर
ठोस इकाई.

Day...............10